काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज, सिविल कोर्ट में ही होगी सुनवाई
ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण करवाने के लिए दाखिल अर्जी पर सिविल जज सीनियर डिवीज़न फास्ट ट्रैक कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। जज आशुतोष तिवारी ने विपक्षी पक्षकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें ज्ञानवापी परिसर को वक्फ की सम्पत्ति बताते हुए सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकार पर सवाल उठाया गया था। साथ ही मामले को वफ्फ बोर्ड में हस्तांतरित करने का निवेदन किया गया था। कोर्ट ने सर्वेक्षण अर्जी पर सुनवाई सिविल कोर्ट में करवाने की अनुमति देते हुए अगली तारीख तीन मार्च तय कर दी है।
सर्वेक्षण को लेकर आइडल स्वयंभू लॉर्ड विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और एक अन्य प्रतिवादी यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच सिविल कोर्ट की फास्ट ट्रैक अदालत में सुनवाई चल रही है। याची आइडल स्वयंभू लॉर्ड विश्वेश्वर के वादमित्र एडवोकेट विजय शंकर रस्तोगी की याचिका पर विपक्षीगण ने कोर्ट में कहा था कि चूंकि यह वाद यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के रजिस्टर में ‘वक्फ संख्या 100’ वाराणसी दर्ज है। इसलिए सिविल न्यायालय को इस वाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है। इसलिए इसे वफ्फ बोर्ड में हस्तांतरित कर दिया जाए। सुनवाई में वादी ने पक्ष रखा कि सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में बताया है कि यह परिसर यूपी सुनी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड में वक्फ एक्ट 1954 के अंतर्गत रजिस्टर्ड है, जबकि 1954 का एक्ट यूपी में कभी लागू नहीं हुआ। न्यायालय ने दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद विपक्षी के प्राथर्नापत्र को खारिज कर दिया।